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फाइनेंस एक्सपर्ट अक्षत श्रीवास्तव ने चेतावनी दी है कि अमेरिका का कर्ज संकट पाकिस्तान को ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा। उन्होंने बताया कि डॉलर में लिया गया कर्ज कमजोर अर्थव्यवस्थाओं को कैसे प्रभावित करता है। पाकिस्तान जैसे देश कर्ज चुकाने में चूक कर रहे हैं और अमीर लोग स्थिर अर्थव्यवस्थाओं में जा रहे हैं।

नई दिल्ली: फाइनेंस एक्सपर्ट अक्षत श्रीवास्तव ने सोमवार को चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अमेरिका का कर्ज संकट पाकिस्तान को वाशिंगटन से ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा। अक्षत श्रीवास्तव इन्वेस्टमेंट एजुकेशन प्लेटफॉर्म विजडम हैच के फाउंडर हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट शेयर किया। इसमें उन्होंने बताया कि क्यों पाकिस्तान जैसे देश ग्लोबल कर्ज के खतरे में हैं। अमेरिका के मुकाबले पाकिस्तान को ज्यादा रिस्क है।
अक्षत ने डिटेल में समझाया कि कैसे डॉलर में लिया गया कर्ज कमजोर अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा, ‘जब अमेरिका के कर्ज का बुलबुला फटेगा तो यह पाकिस्तान को अमेरिका से ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा।’
फाइनेंशियल एक्सपर्ट ने ग्लोबल कर्ज के बारे में आसान भाषा में समझाया। उन्होंने शुरुआत में बताया कि कर्ज संकट का मतलब है कर्ज चुकाने में चूक होना। कर्ज चुकाने में चूक का मतलब है कि कोई देश अपना कर्ज नहीं चुका पा रहा है। खासकर, वह अपने शॉर्ट-टर्म कर्ज को नहीं चुका पाता है।
अमेरिका के पास है बड़ा ऑप्शन
अक्षत ने जोर देकर कहा कि दुनिया का ज्यादातर कर्ज अमेरिकी डॉलर में है। अमेरिका खुद इस करेंसी को कंट्रोल करता है। इसलिए, वह अनलिमिटेड डॉलर छाप सकता है। डॉलर छापना अमेरिका के लिए ‘इंटरनल’ कर्ज है। अमेरिका अपने कर्ज को अपनी शर्तों पर रिफाइनेंस कर सकता है। ज्यादातर देशों के पास यह ऑप्शन नहीं है।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान जैसे देश डॉलर नहीं छाप सकते। पाकिस्तान का बड़ा कर्ज डॉलर में है। अगर पाकिस्तान उस कर्ज को चुकाने में चूक करता है तो कर्जदाता वसूलने आएंगे। अक्षत ने कहा, ‘इसलिए हमने समय-समय पर पाकिस्तान को IMF के सामने कर्ज पुनर्गठन के लिए भीख मांगते देखा है। क्यों? क्योंकि अमेरिका के उलट पाकिस्तान वास्तव में अपनी शर्तों पर अपने कर्ज को रिफाइनेंस नहीं कर सकता है।’
दुनिया पर कैसे कर्ज चढ़ाता है अमेरिका?
अक्षत श्रीवास्तव के अनुसार, यह समस्या स्ट्रक्चरल है और यह सिर्फ पाकिस्तान तक ही सीमित नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मैक्रो नजरिए से देखें तो अमेरिका जितना ज्यादा पैसा छापता है (यानी जितना ज्यादा कर्ज लेता है), दुनिया पर उतना ही ज्यादा कर्ज बढ़ता है (सिर्फ अमेरिका पर नहीं)। इसके चलते निवेशक अपना पैसा सुरक्षित जगहों पर रखना चाहते हैं। वे अपनी संपत्ति को ज्यादा स्थिर अर्थव्यवस्थाओं में ले जाते हैं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘पाकिस्तान जैसे देशों से पैसा अमेरिका, सिंगापुर और स्विट्जरलैंड जैसे देशों में जाता है। अमेरिका, सिंगापुर और स्विट्जरलैंड दुनिया की कुछ स्थिर अर्थव्यवस्थाएं हैं। दुनिया पर कर्ज बढ़ने से इन अर्थव्यवस्थाओं को बाकी देशों के मुकाबले कम नुकसान होता है।’
कर्ज के बुलबुले पर है दबाव
अक्षत ने बताया कि कर्ज का बुलबुला पहले से ही दबाव में है। उन्होंने कहा, ‘तो कर्ज का बुलबुला कैसे फूटेगा? यह पहले से ही फूट रहा है। हम देख रहे हैं कि पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देश अपने कर्ज को चुकाने में चूक कर रहे हैं। वहीं, इन देशों के अमीर लोग ज्यादा स्थिर अर्थव्यवस्थाओं में जा रहे हैं।’
उनकी बातें ऐसे समय में आई हैं जब पाकिस्तान का कुल कर्ज 2024-25 के पहले नौ महीनों में ही बढ़कर PKR (पाकिस्तानी रुपया) 76,000 अरब हो गया है। यह जानकारी हाल ही में जारी इकोनॉमिक सर्वे में दी गई है। इसमें से PKR 51,500 अरब लोकल बैंकों का बकाया है। PKR 24,500 अरब बाहरी कर्ज है। आर्थिक स्थिरता के प्रयासों के बावजूद पाकिस्तान अभी भी कर्ज पुनर्गठन और आईएमएफ के सपोर्ट पर निर्भर है।
पाकिस्तान के फाइनेंस मिनिस्टर मुहम्मद औरंगजेब ने कहा है कि पब्लिक कर्ज-से-GDP अनुपात थोड़ा घटकर 68% से 65% हो गया है। 2025 तक विदेशी मुद्रा भंडार 16.64 अरब डॉल्र है। यह 2023 के लगभग दिवालिया होने के स्तर से बेहतर है। 2023 में पाकिस्तान के पास सिर्फ दो हफ्ते के इम्पोर्ट कवर के लिए पैसे बचे थे।